मुलाकात हुई थी श्याम से बरसो पहले, सुख-दुःख का साथी बन गया था होश संभालने से पहले
मुकद्दर में क्या था ये तो नहीं मालूम, मगर दोस्त सही चुना था कुछ सालों पहले।
मुलाकात हुई थी श्याम से बरसो पहले, सुख-दुःख का साथी बन गया था होश संभालने से पहले
मुकद्दर में क्या था ये तो नहीं मालूम, मगर दोस्त सही चुना था कुछ सालों पहले।