Wo subah jaldi aaye
jab bheed dawakhaano pe nahin
chai ki dukaano pe nazar aaye
Jab kahoge tum hum tab milenge
shart ye hai ki
na ghadi tum pehnoge na waqt hum dekhenge
Ab mumkin nahin hai kisi aur se mohabbat ho jana
mere dil ke taale ab uske pyar ki chabhiyon se hi khulenge
Mohabbat se pehle naam aur paisa kamaa lena
varna jab baat shadi ki aayegi to haar jaoge
Roz raat mat aaya karo sapno mein
jab neend khulti hai
to mujhe khudse nafrat ho jaati hai
Apni hi mohabbat se mukarna pada mujhe
jab rota hua dekha use kisi aur ke liye
Khwaab mein kiye waade hakeekat banane ke liye
dil bahana dhundhta hai teri kurbat paane ke liye
Mohabbat ko waqt diya karo
bahaane nahin
Pehle log kayde ke sath chalte the
lekin ab to fayde ke sath chalte hain
Sukoon milna chahiye nibhane mein
rishte ka naam chahe jo bhi ho
“गिरा दे जितना पानी है तेरे पास ऐ बादल,
ये प्यास किसी के मिलने से बुझेगी तेरे बरसने से नहीं..!!”
“बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे..!!”
“बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना,
मोहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती..!!”
“दिलासा देते तुम्हारे हाथ यूं तो पीठ सहला रहे थे
पर पीठ पर खंजर सा क्यूं चुभा. पता नहीं !!”
“टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया,
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी..!!”
“इंतज़ार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है,
जितना कोशिश करने वाले अक्सर छोड़ देते हैं..!!
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे…!!”
भरी जेब ने ‘दुनिया’ की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ‘ इन्सानो ‘ की.
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है ।
कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं,
लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं,
हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर,
की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं…!!!
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती,
यहाँ आदमी आदमी से जलता है..
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि जीवन में मंगल है या नही..
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात “आख़री” होगी,
ना ज़ाने कौनसी रात “आख़री” होगी..
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से,
ना जाने कौनसी “मुलाक़ात” आख़री होगी..
अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो
तरीके बदलो, ईरादे नही..
ग़ालिब ने खूब कहा है..:
ऐ चाँद तू किस मजहब का है
ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा..
भगवान से वरदान माँगा
कि दुश्मनों से
पीछा छुड़वा दो,
अचानक दोस्त
कम हो गए…
” जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में..।
लोग उतनें ही, अकेले होते जा रहे हे…।।।
इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना ;
सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं…
किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया…
बोझ शरीर का नही साँसों का था….
दोस्तो के साथ जीने का इक मौका दे दे ऐ खुदा…
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे….
“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं…”
हम वक्त और हालात के साथ ‘शौक’ बदलते हैं,,
दोस्त नही … !!