Category: Bewafa Shayari
koi batao mujhe maut ka darwaza dikhaya kahan jaata hai kaash pata hota bhulne ka hunar sikhaya kahan jaata hai
“तुम कुछ गलत थे पर कुछ सही भी, इसीलिए तुम हो भी और नहीं भी।”
खुश हूँ कि मुझको जला के तुम हँसे तो सही, मेरे न सही किसी के दिल में बसे तो सही।
ये नजर चुराने की आदत आज भी नही बदली उनकी, कभी मेरे लिए जमाने से और अब जमाने के लिए हमसे।
तुझे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था, भूल गए थे कि किस्मत बदलते देर नहीं लगती।
ले आना उसे मेरे जनाजे पर एक आखिरी हसींन मुलाकात होगी…!! बेशक मेरे जिस्म में जान ना हो, पर मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी..!!
चलो खेलें वही बाजी जो पुराना खेल है तेरा, तू फिर से बेवफाई करना मैं फिर आँसू बहाऊंगा।
कभी बेखुदी तो कभी बखुदा बना वो कभी हमसाया तो कभी रहनुमा बना वो बहुत कुछ मिला हमको उसकी शख्सियत से कभी कातिल तो कभी बेवफा बना वो