मेरे “साँई” का दरबार सबसे न्यारा हैं, उसमें “बाबा” का दर्शन कितना प्यारा हैं,
सब कहते हैं के “बाबा” सिर्फ़ हमारा हैं, पर “बाबा” कहते हैं के मैंने अपना, सब कुछ तुम सब पर वारा हैं।
मेरे “साँई” का दरबार सबसे न्यारा हैं, उसमें “बाबा” का दर्शन कितना प्यारा हैं,
सब कहते हैं के “बाबा” सिर्फ़ हमारा हैं, पर “बाबा” कहते हैं के मैंने अपना, सब कुछ तुम सब पर वारा हैं।