Category: Depression Shayari
खुद से खुद को खोने लगा हूँ मुझे लगता है मै पागल होने लगा हूँ बिना वजह हँसते हँसते रोने लगा हूँ तेरे जाने के बाद से ही पागल …
कुछ बातें खास तुझे बता बैठे थे हम सब कुछ तुझे अपना बना बैठे थे तूने तोड़ दिया एक झटके में दिल को हम भरोसा कर दिल तेरे कदमों …
चले थे साथ मंज़िल की तरफ तूने बीच रास्ते में अकेला छोड़ दिया अब तेरे बिन रास्ता भटक रहा हूँ मै आ कर देख कितना तड़प रहा हूँ मै.
आदत डाल कर अब ना जाओ दूर तुम दिल उदास है बहुत इसे संभाल लो तुम तेरे बिना जीने के लिए मान नहीं रहा मुझसे तेरे बिना मर जायेगा …
रुक जाओ बस कुछ लम्हों के लिए और मेरी आखरी इच्छा पूरी करती जाओ तेरी बाहों में लिप्ट कर दम तोड़ना चाहता हूँ एक आखरी बार अपनी बाहों में …
अकेला रहना अच्छा लगने लगा है यह दिल लोगों से डरने लगा है खुद से बातें कर सकूँ मिलता है अपनों को भी खुद से दूर करने लगा है
ज़िंदगी भी तवायफ की तरह होती है, कभी मजबूरी में नाचती है,कभी मशहूरी में।
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी भी ज़िन्दगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।