Jitni chahat hai utna naraaz bhi hun – Narazgi Shayari
जितनी चाहत है उतना नाराज़ भी हू मै…
क्यों तेरे इंतज़ार में यंहा आज भी हू मै…
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तूम कोशिशें कर लो मुझे भुलाने की सही…
पर तेरी धडकनों में कंही आज भी हू मै…
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ना मिटा सकोगी मेरी यादों को दिल से…
तेरे दिल के किसी कोने में आज भी हू मै…
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खामोश हुये है जो लब इश्क के फ़रेब में…
बेबस दिलजलों की वही आवाज़ भी हू में…
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दीवाने गाते है मेरी गज़लों को शान से…
हाल-ए-दिल बयां करने का अंदाज़ भी हू मै…
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ये ना समझ तू मिट गई है हसरत की…
तुझे पाने को बेकरार यंहा आज भी हू मै…
Jitni chahat hai utna naraaz bhi hun – Narazgi Shayari