रावण की तरह हमारे दुखों का अंत हो
रावण की तरह हमारे दुखों का अंत हो, एक नयी शुरुआत हो एक नए सवेरे के साथ।
रावण की तरह हमारे दुखों का अंत हो, एक नयी शुरुआत हो एक नए सवेरे के साथ।
वाकिफ तो रावण भी था अपने अंजाम से जिद तो अपने अंदाज़ से जीने की थी..।।
कल रात फिर हर शख्स मुस्कुराता हुआ गया चलो अब चैन से जियेंगे, रावण मर गया..।।
तेरे भीतर रावण ज़िंदा हैं ज़माने से, और तू खुश हैं फकत पुतला बाहर जलाने से।
आज के इस संसार में बुराई के होते काम, हर घर में रावण बसता, कही ना दिखते श्री राम ।।
पाप बड़ गया दुनिया में, आ गया रावण राज शरण में जा श्री राम की, अब वही रखेंगे लाज।।
बुरा करोगे तो बुरा ही होगा..पर अच्छाई खाली कभी नहीं जाती..शुभ दशहरा।
राम जी तो अच्छे थे ही, पर रावण जी भी बुरे नहीं थे ये दिन तो अच्छा जाए ही, लेकिन...