Wo samandar hi kya

वो समंदर ही क्या जिसका कोई किनारा ना हो,
वो इबादत ही क्या जिसमे महाकाल नाम तेरा हैं हो।
सरगम की सब धुन कानो को लगती हैं मधुर,
वो धुन ही क्या जिसमे महाकाल नाम पुकारा ना हो।
कहते हैं मारता नहीं सबको बचाता हैं महाकाल तू जहां में,
वो इंसान ही क्या जो महाकाल तेरे नाम का दिवाना ना हो।