वोही अमर हैं, और प्रत्येक मृत्यु में वोही मरते भी हैं,
महापर्वत हैं वो और सृक्ष्म तृण भी वही हैं, बंधन हैं वो और मुक्ति भी वहीं हैं।
Wohi amar hai
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वोही अमर हैं, और प्रत्येक मृत्यु में वोही मरते भी हैं,
महापर्वत हैं वो और सृक्ष्म तृण भी वही हैं, बंधन हैं वो और मुक्ति भी वहीं हैं।