Intezaar aur prarthna

एक भिखारी, एक सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहाथा।
सेठानी काफ़ी देर से उसको कह रही थी , आ रहीहूं |
रोटी हाथ मे थी पर फ़िर भी कह रही थी की रुको आ रही हूं |
भिखारी भजन गा रहा था और रोटी मांग रहा था।
सेठ ये सब देख रहा था , पर समझ नही पा रहा था,
आखिर सेठानी से बोला – रोटी हाथ में लेकर खडी हो, वो बाहर मांग रहा हैं ,
उसे कह रही हो आ रही हूं तो उसे रोटी क्यो नही दे रहीहो ?
सेठानी बोली हां रोटी दूंगी, पर क्या है ना की मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा हैं, अगर उसको रोटी दूंगी तो वो आगे चला जायेगा,मुझे उसका भजन और सुनना हैं !!
यदि प्राथना के बाद भी भगवान आपकी नही सुन रहा हैं तो समझना की उस सेठानी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही हैं इसलिये इंतज़ार करो और प्राथँना करते रहो।
जीवन मे कैसा भी दुख और कष्ट आये पर भक्ति मत छोड़िए।
क्या कष्ट आता है तो आप भोजन करना छोड देते है?
क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड देते हैं?
नही ना ?
फिर जरा सी तकलीफ़ आने पर आप भक्ति करना क्यों छोड़ देते हो ?
कभी भी दो चीज मत छोड़िये- – भजन और भोजन !
भोजन छोड़ दोंगे तो ज़िंदा नहीं रहोगे,
भजन छोड़ दोंगे तो कहीं के नही रहोगे।