Urdu Shayari

चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत . बाद मरने के मेरे घर
से यह सामान निकला

तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने “ग़ालिब” के सारी उम्र अपना
क़सूर ढूँढ़ते रहे