Sulag rahee hai sarajameen o ubal raha hai rakt yuvaanon ka !

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सुलग रही है सरजमीं ओ
उबल रहा है रक्त युवानों का !
मातृभूमि की पुकार सुन,
उठ खड़ा हुआ सम्पूर्ण राष्ट्र है !!

ना जोश से,है होश से
अब काम लेना !
क्या पता कब हवा का
रुख किस ओर हो !!

क्या रक्त की नदियाँ ही
लाती जीत हैं !
अर्थ से आघात तो
इससे अधिक दुःखदायी है !!

स्वदेशी को अपनाओ !
व्यवहार कर विलायती
तुम न इठलाओ !!

मतलबी राष्ट्रप्रेम का ओढ़ चोला,
किस तरह तुम उन्नति को प्राप्त होगे !
आत्मनिर्भरता के मंत्र का उपहास कर,
किस तरह के ज्ञान का तुम
हो प्रदर्शन कर रहे !!
~Harsh Nath Jha

[sc name=”share” id=”112660″ text=”सुलग रही है सरजमीं ओ उबल रहा है रक्त युवानों का ! मातृभूमि की पुकार सुन, उठ खड़ा हुआ सम्पूर्ण राष्ट्र है !! ना जोश से,है होश से अब काम लेना ! क्या पता कब हवा का रुख किस ओर हो !! क्या रक्त की नदियाँ ही लाती जीत हैं ! अर्थ से आघात तो इससे अधिक दुःखदायी है !! स्वदेशी को अपनाओ ! व्यवहार कर विलायती तुम न इठलाओ !! मतलबी राष्ट्रप्रेम का ओढ़ चोला, किस तरह तुम उन्नति को प्राप्त होगे ! आत्मनिर्भरता के मंत्र का उपहास कर, किस तरह के ज्ञान का तुम हो प्रदर्शन कर रहे !!”]