दूर करे भय भक्त का
दूर करे भय भक्त का, दुर्गा माँ का रूप, बल और बुद्धि बढ़ाये, माँ देती सुख की धूप।
दूर करे भय भक्त का, दुर्गा माँ का रूप, बल और बुद्धि बढ़ाये, माँ देती सुख की धूप।
मैं तो पत्थर हूँ, मेरी माता शिल्पकार हैं मेरी, हर तारीफ़ के वो ही असली हक़दार हैं..।।
यूँ ही नहीं झुकती दुनिया तेरे दर पे, तकदीरें बनती हैं मैया तेरे दर पे।।
हे माँ तू शोक दुःख निवारीनी, सर्व मंगल कारिनी, चंड-मुंड विधारिनी, तू ही शुंभ-निशुंभ सिधारिनी।।
जय माता दी, जय माता दी, करता जाऊं शाम सवेरे माता तुमने मिटा दिए, मेरे जीवन के सभी अंधेरे..।।
चारों तरफ जय माता दी जय माता दी छाई हुई हैं फिर ये वृद्धआश्रमों में किसकी “माँ” आई हुई हैं।।