रोटी से विचित्र कुछ भी नहीं,
इंसान पाने के लिए भी दौड़ता हैं और पचाने के लिए भी।
Roti se vichitra
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इंसान पाने के लिए भी दौड़ता हैं और पचाने के लिए भी।