निराश मन में आशा तुम जागते हो, राम जी के नाम को सबको सुनाते हो
पर्वत जैसी निश्चलता है अंदर तुम्हारे, नर्म धूप की कोमलता है अंदर तुम्हारे।
निराश मन में आशा तुम जागते हो, राम जी के नाम को सबको सुनाते हो
पर्वत जैसी निश्चलता है अंदर तुम्हारे, नर्म धूप की कोमलता है अंदर तुम्हारे।