Kisi ke ghum apne banane ko jee karta hai

किसी के ग़म… अपने बनाने को जी करता है…
किसी को… दिल में बिठाने को जी करता है…
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आज दिल को क्या हुआ है खुदा जाने…
बुझती हुई शमा…फिर जलाने को जी करता है…
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आफतों ने ज़र्ज़र कर दिया घर मेरा …
उसकी दरोदीवार… फिर सजाने को जी करता है…
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एक मुद्दत गुज़र गयी जिसका साथ छूटे…
आज फिर… उसका साथ पाने को जी करता है…