घनघोर अँधेरा ओढ़ के मैं जन जीवन से दूर हूँ,
श्मशान में हूँ नाचता मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ।
Ghanghor andhera
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श्मशान में हूँ नाचता मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ।