एक बूंद नहीं जिनकी अपनी, वो प्यास बुझाने निकले हैं,
पल-पल में रंग बदलते हैं, और हम Saini को समझाने निकले हैं।
Ek boond nahi jinki
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पल-पल में रंग बदलते हैं, और हम Saini को समझाने निकले हैं।