अजीर्ण अपचन का असरकारक उपाय, Effective remedies for indigestion

अजीर्ण को अपचन भी कहा जाता है जो पेट की एक समस्या है, इसमें पेट में पर्याप्त मात्रा में जठर रस का स्त्रावण नहीं हो पाता। अपचन का जन्म पेट में होता है जो कोई बिमारी नहीं है बल्कि एक सेहत से जुड़ी समस्या है और यह आसानी से ही ठीक भी हो जाती है। अजीर्ण की वजह से पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा पेट फूलना, जी मिचलाना, उल्टी, गैस, भूख में कमी, सीने में जलन, खट्टी डकार, मुंह के स्वाद में खट्टापन जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं।
अपचन के लक्षण
गैस
पेट फूलना
पेट में दर्द
डकार
मुंह के स्वाद में खट्टापन
जी मिचलाना और उल्टी
खाने के बाद पेट में भारीपन
पेट का बढ़ना
पेट और ऊपरी हिस्से में जलन का एहसास
कारण: अपचन के कई कारण हो सकते हैं। समान्यतः अधिक भोजन करने या अधिक मसालेदार खाना खाने की वजह से अजीर्ण या अपच की समस्या होती है। यह देखा गया है कि, गेस्ट्रोइंटेस्टीनल ट्रैक के सही तरीके से काम न करने की वजह से भी अपच की समस्या सामने आती है। गेस्ट्रोइंटेस्टीनल ट्रैक के सही काम न करने का कारण कुछ दवाओं का प्रयोग और खाने की बुरी आदत भी हो सकता है।
अपच के असरकारक उपाय
सौंफ का सेवन: सौंफ का प्रयोग मसाले के साथ अक्सर किया ही जाता है लेकिन यह खुशबूदार मसाला पेट के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। सौंफ के सूखे दानों को भून लें और इसे पीस कर पाउडर बना लें। आधे चम्मच सौंफ के पाउडर को एक कप पानी मीन मिलकर दिन में दो बार पीएं। इसके अलावा सौंफ को कूट कर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक गिलास गरम पानी में कूटे हुये सौंफ को मिला लें, सौंफ की चाय तैयार है, इसे दिन में 2 से 3 बार पीना फायदेमंद होता है। आयुर्वेदिक औषिधयों का सेवन: जब अपच की समस्या हमे लगातार हो रही हो तो हमें इससे छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक औषिधयों का ही सेवन करना चाहिए, क्योकि ये पुर्ण रुप से सुरक्षित होती हैं, इनसे किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नही होता हैं। आयुर्वेदिक औषिधयों मे अधिकतर उदरविकार चूर्ण, अविपत्तिकार चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, आदि का सेवन कर सकते हैं।
उदर विकार चूर्ण का सेवन: उदर विकार चूर्ण कब्ज (मल अवरोध), एसीडिटी, अपच, अरुचि, आदि को दूर करने में लाभप्रद हैं। यह चूर्ण जवाहरे, सौंठ, काली मिर्च, पीपल, हरड छाल, काला जीरा, सौंफ, सनाय, काला नमक आदि से मिलकर बना होता हैं।, इसको आप 6 ग्राम से 12 ग्राम हल्के गर्म पानी के साथ रात्रि को लेवें।
अविपत्तिकार चूर्ण: अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से अम्लपित, अपचन, अरुचि, मलबन्ध, मूत्रबन्धता, प्रमेह, अर्श आदि रोग नष्ठ होते है, ये चूर्ण सौंठ, मिर्च, पीपल, आवंला, हर्रे, बहेडा, मोथा, विडनमक, वायविडंग, इलायची, तेजपत्र, लौंग, निसोत, खंाड, आदि से मिलकर बना होता हैं। इस चूण को आप 6 ग्राम से 12 ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेवें। पंचसकार चूर्ण: पंचसकार चूर्ण पाचन शक्ति बढाता है, एंव ये कब्ज को नष्ठ करने की उतम गुणकारी दवा है! यह दस्तावर, और अग्नि को प्रदीप्त करता हैं, ये सनाय की पत्ती सौंठ, सेंधा नमक, सौंफ, आदि गुणकारी जडीबुटीयो के सगंम से मिलकर बना होता हैं।
अदरक: अदरक में कुछ खास गुण होते हैं, यह पाचन में मदद करने वाले एंजाइम्स की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है, इसके अलावा अपच की वजह से जी मिचलाना और उल्टी आदि में भी राहत मिलती है। इसके लिए अदरक के रस की 2 चम्मच मात्रा में एक चम्मच नींबू का रस और एक चुटकी काला नमक मिला कर सेवन करें। अगर इसे लेने में असुविधा हो तो इसे पानी के साथ भी लिया जा सकता है। जीरा पेट से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए आयुर्वेद में भी जीरे का प्रयोग किया जाता है। यह पेंक्रियाज एंजाइम्स के स्त्रावण को बढ़ा देता है जिसकी मदद से पाचन क्रिया में सुधार आता है। भुने हुये जीरे को पीस लें और इसकी आधे चम्मच मात्रा को पानी में मिलकर पी लें, इसेक स्वाद को बेहतर करने के लिए काले नमक का प्रयोग करें।
तुलसी: तुलसी औषधिय गुणों से भरपूर पौधा है जो कई तरह की बिमारियों में काम आता है। खास तौर पर एसिड रिफ्लक्स में इसके फायदे अनेक हैं। कुछ तुलसी की ताजा पत्तियों को एक कप गरम पानी में डुबो कर 10 मिनट रख दें, इससे पेट के रोगों में राहत मिलती है। इसे दिन में 2 से 3 बार पीना चाहिए। दालचीनी पेट का फूलना और मरोड़ आदि में दालचीनी बहुत फायदेमंद होती है। एक कप उबलते हुये पानी में आधा चम्मच दालचीनी का पाउडर मिला कर इसे पी लें, इससे पेट में मरोड़ और फूलने की समस्या में तुरंत आराम मिलता है।
अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीना किसी भी तरह की पेट से जुड़ी समस्या के लिए लाभदायी होता है। पेट से जुड़ी शुरुआती समस्याओं को इसके मधायम से दूर किया जा सकता है।