Deen praja, santapt hriday se jab aavaaj lagaatee hai !

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दीन प्रजा, संतप्त हृदय से
जब आवाज लगाती है !
भाव विह्वल हो, जननायक
तब देव स्वरूप उभरते हैं !!

हर लेने को कष्ट सभी,
जब युवा जोश दिखाती है !
संकट का अटल पर्वत भी ,
विवश हो अपना शीश झुकाता है !!

हो दिशाहीन, प्रपंच में फँसकर
कब तक आपस में लड़ोगे !
बन कठपुतली, धूर्तों की
कब तक समय गँवाओगे !!

हे! शक्तिपुंज, तुम नेत्र खोल
अपना सामर्थ्य दिखाओ !
नायक बन, हित साधो राष्ट्र की
बहुरूपियों को सबक सिखाओ !!

कुछ छुपा नहीं, तुमसे है भेद
बस जिज्ञासा दिखलाओ !
इन दुष्ट-पापियों के चंगुल से,
अपना देश बचाओ !!
~Harsh Nath Jha

[sc name=”share” id=”112662″ text=”दीन प्रजा, संतप्त हृदय से जब आवाज लगाती है ! भाव विह्वल हो, जननायक तब देव स्वरूप उभरते हैं !! हर लेने को कष्ट सभी, जब युवा जोश दिखाती है ! संकट का अटल पर्वत भी , विवश हो अपना शीश झुकाता है !! हो दिशाहीन, प्रपंच में फँसकर कब तक आपस में लड़ोगे ! बन कठपुतली, धूर्तों की कब तक समय गँवाओगे !! हे! शक्तिपुंज, तुम नेत्र खोल अपना सामर्थ्य दिखाओ ! नायक बन, हित साधो राष्ट्र की बहुरूपियों को सबक सिखाओ !! कुछ छुपा नहीं, तुमसे है भेद बस जिज्ञासा दिखलाओ ! इन दुष्ट-पापियों के चंगुल से, अपना देश बचाओ !!”]