Aur bhi banti lakeerein dard ki shayad

और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कई,
शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया,
तूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगी,
या ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया.