Aankh mundkar dekha

आँख मूंदकर देख रहा हैं साथ समय के खेल रहा हैं,
महादेव महाएकाकी जिसके लिए जगत हैं झांकी
वही शुन्य हैं वही इकाई जिसके भीतर बसा शिवाय।