होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का

होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का;

शायद नज़र से वो बात हो जाये;

इस उम्मीद में करते हैं इंतज़ार रात का;

कि शायद सपनों में आपसे मुलाक़ात हो जाये।

शुभ रात्रि!