“ब्रामण” के ठाठ देख

“ब्रामण” के ठाठ देख कर तो आजकल शहर की छोरियां भी कहने लगी हैं
ना दवा चाहिए ना दर्द चाहिए, हमें तो बस ब्राह्मणो का लड़का चाहिए।।