दुआ लफ़्ज़ों से नहीं दिल से होनी चाहिए क्योंकि
ब्रामण उनकी भी सुनते हैं जो बोल नहीं पाते ।।
दुआ लफ़्ज़ों से नहीं
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दुआ लफ़्ज़ों से नहीं दिल से होनी चाहिए क्योंकि
ब्रामण उनकी भी सुनते हैं जो बोल नहीं पाते ।।