इक वक़्त बीता, सब अच्छा हुआ करता था

इक वक़्त बीता, सब अच्छा हुआ करता था,
दिल तो बच्चा था, मगर सच्चा हुआ करता था…

हर पल खुशी के नाम था यारों,
ना कोई गम हुआ करता था…
ख्बाहिशें हुआ जो करती थी दिल की,
वो सपना हर अपना सच हुआ करता था…

क्या हुआ कहाँ खो गया वो जहां
बीता बचपन जहाँ अपना गम विहीन हुआ करता था…
थक कर सो जाते थे कहीं पर भी मगर,
उजाला आँखों का बिस्तर पर हुआ करता था..

लगती थी चोट हमको कभी भी ,
छुपाने को दर्द एक आँचल माँ का हुआ करता था…