Banda nahi hai
बंदा नहीं हैं कोई Saini की टक्कर का आज की तारीख में इसीलिए लफ्ज कम पड़ जाते हैं हमारी तारीफ़...
बंदा नहीं हैं कोई Saini की टक्कर का आज की तारीख में इसीलिए लफ्ज कम पड़ जाते हैं हमारी तारीफ़...
तीन ही उसूल हैं Saini की जिन्दगी के, आवेदन, निवेदन और फिर ना माने तो दे दना दन।
अपना Female Interaction इतना कम हैं, की अपने घर कंघा हैं, कंघी भी नहीं हैं।
एक बूंद नहीं जिनकी अपनी, वो प्यास बुझाने निकले हैं, पल-पल में रंग बदलते हैं, और हम Saini को समझाने...
कुछ लोग खुद को शेर समझते हैं, मगर हम वो इंसान हैं, जो शेरो को भी कुत्ते जैसे घुमाते हैं।
अगर तुझको गुरूर हैं सत्ता का इस कदर तो, हम Saini भी तख्तों को पलटने का हुनर रखते हैं।