Mai yog nindra
मैं योग निद्रां में शम्भु हूँ,निद्रां के बहार शंकर और जाग गया तो रुद्र हूँ।
धन्य धन्य भोलानाथ तुम्हारी, कोडी नही खजाने में,तीन लोक बसती में बसा कर, आप रहे बीराने में।
भोलेनाथ के भक्त हैं, इसलिये भोले बनकर फिरते हैं,पर याद रखना कभी-कभी हम तांडव करना भी जानते हैं।
मैं और मेरा भोलेनाथ दोनो ही बड़े भुलक्कड़ हैं,वो मेरी गलतियाँ भूल जाते हैं, और मैं उनकी महेरबानियाँ।
लाखों दिल झूमते हैं ना जाने किस ओर ठिकाना हैं,तेरा मेरे भोलेनाथ, तेरे दर्शन को बेचैन हज़ारों तुझे ढूँढ़ते हैं।