Batabaran Ko jo mehka de
वातावरण को जो महका दे उसे ‘इत्र’ कहते हैं जीवन को जो महका दे उसे ही ‘मित्र’ कहते हैं
वातावरण को जो महका दे उसे ‘इत्र’ कहते हैं जीवन को जो महका दे उसे ही ‘मित्र’ कहते हैं
गुनाह करके सजा से डरते है ज़हर पी के दवा से डरते है दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे...
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा...
इश्क के सहारे जिया नहीं करते गम के प्यालों को पिया नहीं करते कुछ नवाब दोस्त हैं हमारे जिनको परेशान...
Pyaar Na Rahe To Wafa Kon Karega, Dost Na Rahe To Dosti Kon Karega, Khuda Salamat Rakhe Tumhe Warna, Meri...
नोट इकट्ठे करने के बजाय दोस्त इकट्ठे किए हैं हमने, इसलिए आज पुराने भी चल रहे हैं!
दिखावा इसमें ना जरा है, जज्बातों से भरा है, पल मैं समझ आया हाल दिल का, रिश्ता दोस्ती का कितना...