सनम का चाँद सा चेहरा जब तक न हो निगाहों मे
सनम का चाँद सा चेहरा जब तक न हो निगाहों मे.. कहाँ करवा चौथ तब तक, कहाँ कोई दिवाली है
सनम का चाँद सा चेहरा जब तक न हो निगाहों मे.. कहाँ करवा चौथ तब तक, कहाँ कोई दिवाली है
सुख दुःख मे हम तुम हर पल साथ निभाएंगे, एक जनम नहीं सातो जनम पति-पत्नी बन आएंगे
किसी ने खूब कहा है : ऐ चाँद तू किस मजहब का है !! ईद भी तेरी और करवाचौथ भी...
इस जीवन मे मुझे जो मिला है तेरा साथ, दुःख सारे मिट गए, हुआ खुशियो का आगाज़!!
चाँद मे दिखती है मुझे मेरे पिया की सूरत, चाँद संग चांदनी सी है मुझे भी उनकी जरुरत.