सोच रहा हूँ इस दशहरा अपने अंदर उस रावण को जला लू

सोच रहा हूँ इस दशहरा अपने अंदर उस रावण को जला लू
जो हर परायी स्त्री को भोग की चीज़ समझता हैं।
और उस रावण को बचा लू जिसने अपनी बहन के मान के लिए
अपने संपूर्ण कुल का दीपक बुझने दे दिया..।।।।