“घुटनों पर रेंगते – रेंगते
जाने कब पैरों पर खङी हुई।
तेरी ममता की छाँव में
जाने कब बङी हुई।
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है।
मैं ही मैं हूँ हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा है।
सीधी – साधी भोली – भाली
मैं ही सबसे अच्छी हूँ।
कितनी भी हो जाऊॅ बङी
माँ मैं आज भी तेरी ‘बच्ची’ हूँ। “