जिन्दंगी को समझना बहुत मुशकिल हैं.
कोई सपनों की खातिर “अपनों” से दूर रहता हैं…..
और , कोई “अपनों” के खातिर सपनों से दूर !
[sc name=”share” id=”9816″ text=”जिन्दंगी को समझना बहुत मुशकिल हैं. कोई सपनों की खातिर अपनों से दूर रहता हैं.. और , कोई अपनों के खातिर सपनों से दूर !”]