इतनी अकड़ किस बात की वे तुम में ऐसी तो कोई बात नहीं और हम तुम्हारे मुंह लगे तुम्हारी इतनी औकात नहीं..
एक बुरी आदत आज भी है मेरे अंदर, मैं किसी को माफ करके भी माफ नहीं करता |
दुश्मनों को हराओ या ना हराओ लेकिन उनके सामने जरूर मुस्कुराओ..
जवाब ऐसा दो कि फिर किसी के मन में सवाल ना आए |
एक बार फैसला ले लिया तो उस पर कोई चर्चा नहीं, क्योंकि बार-बार चर्चा करने से आत्मविश्वास खत्म हो जाता है |
शक्ल पर मत जाओ रफ्तार खून में हुआ करती है |
जिद यह है कि, अब मुझे मेरी जिद पूरी करनी है |
जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है, उसूलों पर आंच आए तो टकराना भी जरूरी है..
ताश का जोकर और अपनों की ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं..
चिढते हैं वो मुझसे, जिनसे बराबर नहीं होती मेरी..