सुलग रही है सरजमीं ओ
उबल रहा है रक्त युवानों का !
मातृभूमि की पुकार सुन,
उठ खड़ा हुआ सम्पूर्ण राष्ट्र है !!
ना जोश से,है होश से
अब काम लेना !
क्या पता कब हवा का
रुख किस ओर हो !!
क्या रक्त की नदियाँ ही
लाती जीत हैं !
अर्थ से आघात तो
इससे अधिक दुःखदायी है !!
स्वदेशी को अपनाओ !
व्यवहार कर विलायती
तुम न इठलाओ !!
मतलबी राष्ट्रप्रेम का ओढ़ चोला,
किस तरह तुम उन्नति को प्राप्त होगे !
आत्मनिर्भरता के मंत्र का उपहास कर,
किस तरह के ज्ञान का तुम
हो प्रदर्शन कर रहे !!
~Harsh Nath Jha