जला दी लंका रावण की, मैया सीता को लाये तुम, पड़ी जब मुश्किल राम में, लक्ष्मण को बचाए तुम, अब आ भी जाओ पवन पुत्र हम तुम्हे बुलाते हैं, अब तो दे दो दर्शन भगवन, …
मेरे दुश्मन कहते हैं तेरे पास ऐसा क्या हैं, जिससे तेरे नाम का इतना आतंक हैं, मैंने कहा भाई मेरा दिल नरम हैं, दिमाग गरम हैं बस बाकी सब, मेरे बजरंगबली का करम हैं।
राम का हूँ भक्त मैं, रूद्र का अवतार हूँ, अंजनी का लाल हूँ मैं, दुर्जनों का काल हूँ, साधुजन के साथ हूँ मैं, निर्बलो की आस हूँ, सद्गुणों का मान हूँ मैं, हां मैं हनुमान …
पैरों में बांधे घुँघरू नाचे हनुमान, कहते हैं सब लोग इनको श्री राम का दीवाना, जहाँ भी होता है कीर्तन प्रभु श्री राम का, वहीँ लगता है पहरा हमारे वीर हनुमान का।