जली को आग कहते हैं बुझी को राख कहते हैं, उससे जो बारूद बनती सूरज उसे भगवा शेरों की बारात कहते हैं हैं देशभक्ति का रक्त जिनकी रगों में लोग उन्हें ही चुनते हैं, जो …
बात इन्कलाब की हैं तो महासंग्राम कर देंगे, तुम्हारी आँख के सामने सुबह को शाम कर देंगे, ये हरे गमछे सफेद टोपी हमेँ क्या दिखाते हो, हम भगवा बाँध कर निकलेँगे तो कोहराम कर देंगे।
कतरा कतरा चाहे बह जाये लहू बदन का, कर्ज उतर दूंगा ये वादा आज मैं कर आया, हँसते-हँसते खेल जाऊंगा प्राण रणभूमि में, ये केसरिया वस्त्र मैं आज धारण कर आया।