Kaal bhi tum
काल भी तुम महाकाल भी तुम, लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम, सत्यम भी तुम और सत्य भी तुम।
माथे का तिलक कभी हटेगा नही, और जब तक जिन्दा हूँ, तब तक महाकाल का नाम मुँह से मिटेगा नही।
शिव अनादि हैं, अनन्त हैं, विश्वविधाता हैं, जो जन्म मृत्यू एवं काल के बंधनो से अलिप्त स्वयं महाकाल हैं।
कोई कितनी कोशिश कर ले कुछ नही बिगाड़ सकता माई का लाल कियौकि जिसके हम बालक हैं, नाम हैं महाकाल।
जहाँ पर आकर लोगों की नवाबी खत्म होती हैं, वही से महाकाल के भक्तों की बादशाही शुरू होती हैं।