Mere bina kya apani
_मेरे बिना क्या अपनी ज़ुल्फ़ें संवार लोगी तुम?_ _इश्क़ हूँ, कोई ज़ेवर नहीं जो उतार लोगी तुम....!!_
_मेरे बिना क्या अपनी ज़ुल्फ़ें संवार लोगी तुम?_ _इश्क़ हूँ, कोई ज़ेवर नहीं जो उतार लोगी तुम....!!_
चुभते हुए ख्वाबों से कह दो .. अब आया ना करे..!! हम तन्हा तसल्ली से रहते है....बेकार उलझाया ना करे..!!
हौंसला लाख हो बुलंद , धीरे धीरे टूटने लगता है .... एक एक करके जब , अपनो का साथ छूटने...
Chirago main agar noor na hota, Ye tanha dil itna majboor na hota... Hum aap se milne roz ate, Agar...
ऐसा नहीं है कि दिन नहीं ढलता.....या रात नहीं होती, सब अधूरा सा लगता है....जब तुमसे बात नहीं होती...!!! Aisa...