Zakhm purane hue koi to naya
ज़ख्म पुराने हुए कोई तो नया ज़ख्म दे जाओ चलो आओ फिर से फिर से वही इश्क़ ले आओ !!
ज़ख्म पुराने हुए कोई तो नया ज़ख्म दे जाओ चलो आओ फिर से फिर से वही इश्क़ ले आओ !!
एक सपना बहुत दूर तक देख आया था मै ... सुबह जब आंखें खुली तो खुद पे ही रों आया...
सुना है बहुत बारिश हुई है तुम्हारे शहर में ज्यादा भीगना मत अगर धूल गई सारी गलतफहमियां तो बहुत याद...
मैंने रातो को बदलते देखा है मैंने दिन को भी ढलते देखा है क्यूंकि इस आँखों ने तुम्हारी सिवा कुछ...
“माना की तेरे दर पे हम खुद चल कर आये थे ऐ इश्क दर्द,दर्द और बस दर्द ये कहाँ की...
मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ जीने की तमन्ना कौन करे.. ये दुनिया हो या वो दुनिया अब ख़्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे..!!
रख देता हूँ हाथ अब , खुदके ही हाथ में मैं🙌🏻🤝 , खुदको अकेला कहना अब , खुदको बुरा लगता...