Dard wahi jo chupa diya jaaye jo bata diya jaaye usse
दर्द वही जो छुपा दिया जाए, जो बता दिया जाए उसे तमाशा कहते हैं..! शुभरात्रि
दर्द वही जो छुपा दिया जाए, जो बता दिया जाए उसे तमाशा कहते हैं..! शुभरात्रि
बदलते तो सब है कोई सही वक्त पे तो कोई बुरे वक्त पे..! शुभरात्रि
ए पलक तू बंद हो जा, कम से कम उनकी सूरत तो नजर आएगी, दिन तो ऐसे ही निकल जाता...
यहां आग की जरूरत नहीं पड़ती, यहां आदमी आदमी से जलता है..! शुभरात्रि
जीवन का आनंद लेना और अपने मनभावन कर्म करना ही सफलता है..! शुभरात्रि
अगर मिल जाता सब-कुछ केवल चाहने से तो दुनिया में ”ऊपर वाले”की जरूरत ही न होती!!
शिकायतों की भी इज्जत है, हर किसी से नहीं की जाती.. शुभरात्रि