Apni zindagi me kaam
अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा के पहचान बन जाये इस तरह से चलो के निशान बन जाये, ज़िन्दगी तो...
अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा के पहचान बन जाये इस तरह से चलो के निशान बन जाये, ज़िन्दगी तो...
ठोकर ना लगा मुझे, पत्थर नहीं हूँ मैं, हैरत से ना देख, कोई मंज़र नहीं हूँ मैं, तेरी नज़र में...
माना की नसीब में मेरे कोई सनम नहीं फिर भी कोई शिकवा कोई गम नहीं, तनहा थे और तनहा जिए...
जा वेबफा तेरी नफरत में वो दम कहाँ, जो मेरे इश्क को मिटा दे, ये इश्क है कोई खेल का...
भूलकर हमें अगर तुम रहते हो सलामत, तो भूलके तुमको संभलना हमें भी आता है मेरी फ़ितरत में ये आदत...
जो खुशियां हमे खैरात में मिले, उसे हम पसन्द नही किया करते हैं, क्योंकि गम में कितने भी काले बादल...
माना की तू चाँद हैं, तुझे देखने को लोग तरसते हैं मगर हम भी सूरज जैसे हैं, लोग हमे देखकर...
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ, सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ, जो लोग करते हैं मुझे...