जिसने बेटी जनी नहीं
वो पीर परायी क्या जाने
बेटे बेटी में फर्क क्या है….
बेटी का प्यार वो क्या जाने
बेटी घर की शान है
बेटी माँ बाप की जान है
वह एक नहीं दो दो कुनबों की
आन बान और शान है…
जब विपदा माँ बाप पे आती है
बेटी ही साथ निभाती है
माँ बाप के आँसू देख के वो
खुद घायल सी हो जाती है…
वृद्ध पितु और मात को वो
दुखी देख नहीं पाती है
भाई के स्वार्थपन पर वह
उन्हें अपने घर ले जाती है….
उस बेटी का क्या जिक्र करूँ
मेरी जिव्हा में न शब्द ही हैं
वो स्वयं परमपिता बन कर
माँ बाप की बनती नब्ज ही हैं ।