मोहब्बत के खर्चों की बड़ी लम्बी कहानी हैं, कभी फिल्म दिखने हैं तो कभी शॉपिंग करानी हैं
मास्टर रोज़ कहता हैं की कहा है फीस के पैसे, उसे कैसे समझाऊं की मुझे छोरी पटानी हैं।
मोहब्बत के खर्चों की बड़ी लम्बी कहानी हैं, कभी फिल्म दिखने हैं तो कभी शॉपिंग करानी हैं
मास्टर रोज़ कहता हैं की कहा है फीस के पैसे, उसे कैसे समझाऊं की मुझे छोरी पटानी हैं।