*-* मनोबल अधिक तो कष्ट खेल लगते हैं *-*
कई लोग सवाल उठाते हैं कि कष्ट हमेशा अच्छे लोगों पर ही क्यों आते हैं????भगवान उन्हें ही कष्ट क्यों देते है???लेकिन सच्चाई यह है कि भगवान कष्ट मिटाने वाले हैं,कष्ट देने वाले नही।ये तो हमारे कर्मो का हिसाब-किताब है।अच्छे लोगों पर कष्ट आते है उन्हें और अच्छा बनाने के लिए।
जैसे हम पहनने के कपड़े भी धोते हैं और पोंछें को भी लेकिन पहनने वाले कपड़ो को बहुत रगड़ते हैं और पोंछें को यूँ ही पानी में से निकाल कर सुखा देते हैं,कोई रगड़ाई नही।कारण यह है कि पहने जाने वाले कपड़ों को तो साफ-सुथरा रखना है और पोंछें को तो वैसे ही रहना है।
इसी तरह जिन्हें आगे बढना है,ऊँचा चड़ना है,उन्हें रगड़ सहन करनी पड़ती है।जिन्हें सम्पूर्ण बनना है उन्हें कष्ट आते ही हैं।परन्तु उनका मनोबल इतना अधिक होता है कि उन्हें कष्ट,कष्ट लगते ही नही ,खेल लगते हैं।
भगवान भी उसकी ऐसी गुप्त मदद करते हैं जो सांसारिक धन वैभव तथा आराम के रूप में नही दिखती पर अंदर ही अंदर वह आत्मा शक्तिशाली तथा अनुभवी बनती जाती है।
संसार को तो यह दिखता है कि इस सच्चे व्यक्ति को भगवान ने मदद क्यों नही दी पर वह व्यक्ति स्वयं यह महसूस कर रहा होता है कि भगवान से जो ज्ञान, प्यार ,सहयोग और गुप्त बल सहज रूप से मिल रहा है उसी की तरफ मन बुद्धि लगाने में भलाई है