हमको आज़माने की ज़ुर्रत नहीं किसी की,
हम खुद अपनी तक़दीर लिखते है,
खुदा की लिखावट को बदलना तो हमारी फ़ितरत है,
हार को जीत में बदल कर हाथो की लकीर बदलते है।
हमको आज़माने की ज़ुर्रत नहीं किसी की,
हम खुद अपनी तक़दीर लिखते है,
खुदा की लिखावट को बदलना तो हमारी फ़ितरत है,
हार को जीत में बदल कर हाथो की लकीर बदलते है।