हर मंजर में मैं पाऊं तुम्हे कैसे कहूँ श्याम कितना चाहूं तुम्हें,
बस तुमसे ही हैं ये जिन्दगी मेरी यूं ही कैसे भूल जाऊं तुम्हें।।
हर मंजर में मैं पाऊं तुम्हे कैसे कहूँ श्याम कितना चाहूं तुम्हें,
बस तुमसे ही हैं ये जिन्दगी मेरी यूं ही कैसे भूल जाऊं तुम्हें।।