क़ुरान ए पाक़ की आयत़ ये गीता ज्ञान है भारत,
सबाब ए नेक कर्मों का मिला वरदान है भारत,
भजन मंदिर के मेरे हैं अजान ए मस्जिदें मेरी,
जिसे जो चाहे वो समझे मेरी तो जान है भारत,
मुहब्बत ही धरम अपना दिवारें मजहबी तोडो,
अहिंसा, शांति की सदभावना, ईमान है भारत,
बचा कर दोस्तों रखना,इसे जालिम लुटेरों से,
हजारों लाडलों का ये अमर बलिदान है भारत
शहर की झिलमिलाती रोशनी में ढूँढते हो क्या,
अंधेरी गाँव की गलियाँ, भरा खलिहान है भारत
अगर धृतराष्ट्र हो अंधा,तो खिंचता चीर नारी का,
इन्हीं दुःस्सानों से आजकल हलकान है भारत,
दुआ है रब से “मीरा” की, रहे आबाद ये गुलशन,
ये वंदे मातरम,जन मन का सुन्दर गान है भारत,
©कश्मीरा त्रिपाठी